यूपी में विधानसभा चुनाव 2017 अपने चरम पर पहुच चुका है हर पार्टी अपने अपने तारीखे से जनता को लुभावने वादे कर रही है. एक तरफ साइकिल की रफ़्तार पंजे के साथ बढने की उम्मीद लगाये हुए है और दूसरी तरफ हांथी अलग चिंघाड़ रहा है. कमल अपनी खुशबू फिर से यूपी में बिखेरना चाहता है. हर पार्टी को चुनाव आते ही एक ही समुदाय नज़र आता है और वो है मुस्लमान. चुनाव आते ही हर पार्टी मुस्लिम वोटर्स को रिझाने लगते हैं और दूसरी पार्टी के बारे में बताने लगती हैं की उन्होने मुसलमान के लिए खुछ नहीं किया . सभी पार्टियों को मुस्लिम वोटर्स ही नज़र आते हैं सिर्फ पार्टी मुसलमानों के वोट्स ही जीतेगी किया ? उनको दलित वोटर्स की कोई ज़रुरत नहीं. ? आये देखे किसने किया कहा !
समाजवादी पार्टी :- समाजवादी पार्टी ने कोई भी काम मुसलमानों के लिए नहीं किया और जहाँ तक २०% आरक्षण देने की बात है उसमें भी खरे नहीं उतर पाए. मुज़फ्फरनगर में दंगे हुए लाखों लोग बर्बाद हो गये , कितने औरतों की इज्ज़त के साथ खेला गया लेकिन पार्टी के आला कमांन की तरफ से कोई संवेदना का बयां नहीं आया ! एक बलात्कार के मामले जब मुलायम सिंह यादव पूछा गया तो उन्होने यह कह दिया “नौजवान हैं नौजवानी में गलतियाँ हो जाती हैं “ ऐसे समाजवाद की कल्पना हम नहीं करते. और अखिलेश यादव जो मुसलमान के हमराही बने हुए है उनको तो उनके पिता ने ही मुस्लिम विरोधी कह दिया. सोचने वाली बात है की मुलायम सिंह यादव चार साल तक चुप क्यों बैठे थे ?. इसका मतलब वो भी मुस्लिम विरोधी हुए. खुछ मुसलमान धर्मगुरु समाजवादी का सपोर्ट में उतर आये हैं और खुले तौर पे मुसलमानों से अपील की समाजवादी को वोट दें. कल बुधवार को प्रेस क्लब लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेस “मुस्लिम कन्वेंशन“ की तरफ से हुई. उन्होने लोगों से अपील की BJP, BSP को वोट न दें क्यूँ की ये लोग मुस्लिम विरोधी हैं और उन्होने मुस्लिम सुफिएम्ज़ को भी कहा “ऐसे तंजीम जो सूफ़िएज़्म का चोला पहन कर मोदी के दरवाज़े पर नज़र आते है” उन्होने गुजरात दंगों का भी ज़िक्र किया तो जब मीडिया ने उनको मुज़फ्फरनगर के दंगे याद दिलाये तो वो कोई जवाब न दिए बगैर भाग खडे हुए !
कांग्रेस: एक और डूबती हुई पार्टी जिसको तिनके का सहारा साइकिल के रूप में मिल गया . कांग्रेस वाहिद एक ऐसी पार्टी थी जिसको मुस्लिम समुदाय का भरपूर समर्थन मिलता था. लेकिन खुछ समय से कांग्रेस के साथ भी मुसलमानों को ठगा सा महसूस कर रहा था. कांग्रेस भले ही अपने सभाओ में कहे की सपा कांग्रेस मिलकर दूसरी ताक़तों से लड़ेगे लेकिन सच तो यह है की अभी फ़िलहाल टिकट को लेकर आपस में ही लड़ रहे हैं. वैसे काग्रेस के पास खोने के लिए खुछ नहीं था और पाने के लिए बहुत खुछ तो उसने गठबंधन का तारीका अपनाया.
बहुजन समाजवादी पार्टी : BSP की छवि को सुधारने के लिए इस बार मायावती ने trump card चला है 100 सीटे मुसलमानों को दीं और दलितों का भी ख्याल रखा बस उनके साथ जाने में मुसलमानों को सिर्फ यही डर है की कही बीजेपी से गठबंधन न करले क्यूँ की कई बार बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना चुकी है. वैसे मुसलमानों के अधिकतम समुदायों ने BSP के सपोर्ट में आ गई हैं! कानून व्यवस्ता की बात की जाय तो इसमें कोई दो राय नहीं होगी की BSP के शाशन में कानून व्यवस्ता बहुत मज़बूत रहती है.
भारतीय जनता पार्टी:- इनके बारे में किया कहे यह तो मुसलमानों के नहीं बल्कि पूरे भारतियों को बेवक़ूफ़ बनाते चले आरहे है इन्होंने ३ साल में सिर्फ जनता को बेवक़ूफ़ बनाया है. शुरू में अच्छे दिन, स्वच भारत , सर्जिकल स्ट्राइक, जन धन खाते , और सबसे बड़ा नोट बंदी जैसा तुगलकी फरमान जारी कर दिया जिससे देश में भुकमरी की नौबत आ गई .
अच्छे दिन: शुरू में अच्छे दिन के जो सपने जनता को दिखाए थे उसमें विफल रहे जनता सोच रही थी के मोदीजी विदेशो में घूम रहे है तो शायद कोई अच्छी सौगात लाएगे लेकिन लाये तो सिर्फ बातें.
एक न्यूज़ चैनल में दिखाया गया ‘मोदी के डर से थर थर कापा दाऊद’ अरे जो 30 साल से ज्यादा से पाकिस्तान में बैठा हुआ है वो कांप रहा है और जो इंडिया में विजय माल्या ने हजारों करोर रुपए का घोटाला करके इंडिया से भाग गया उसको नहीं रोक पाए.
दूसरा जन धन खाते खुलवाए गरीब लोगों के लिए के १५ १५ लाख रुपये आयेगे वो सब सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट था और लोगों के हिस्से में आई सिर्फ बेरोज़गारी, भुकमरी, मायूसी . नोट बंदी में २०० से जादा लोगों की जान चली गई लाइन में खडे खडे लेकिन हमारे वजीरे आज़म के मुह से एक बार भी उन म्रत लोगों के लिए सदभावना सन्देश नहीं आया बल्कि वो और उनकी पार्टी अपनी पीठ थप थापाती रही. यह तो खुलम खुल्ला मुसलमानों के विरोधी हैं. जहाँ दूसरी पार्टियाँ मुसलमानों को 100-से ज्यादा टिकेट दे रही है वहीँ इनकी पार्टी एक भी टिकेट मुसलमान को देने के फेवर में नहीं है. इनका कहना है हिन्दू राष्ट्र बनायेगे मुसलमानों का कोई अधिकार किसी चीज़ में नहीं है . जैसे की खुछ लोग बरसाती मेढक की तरह चुनाव के समय निकल आते हैं और कभी लव जेहाद , कभी राम मंदिर, कभी तीन तलाक़ के मुद्दे उठाते रहते है चाहे वो शाक्षी महराज हो या योगी आदित्यनात ये सब इन्ही फुजूल के मुद्दों पे TRP बटोरा करते हैं. इन लोगों की ज़मीनी हकीकत खुछ नहीं है यही वजह है की BJP के पास UP CM चेहरा नहीं है.
एक तरफ तो मुसलमानों को एक भी टिकेट देने क लायक नहीं समझा और दूसरी तरफ UAE का किंग आता है तो उससे जाके गले मिलते हैं. या बिगैर किसी को बताये पाकिस्तान चले जाते है चाय पीने या शादी के न्योते पे . कौन सी दोहरी राजनीती खेल रहे हैं मोदी जी समझना अकल से परे हैं.
बनारस से जीते थे पूर्ण बहुमत से और तीन साल में बनारस का ‘ब’ भी उन के मुह से नहीं निकला और अब जब चुनाव आया है तो फिर चले बनारस की ओर. अभी ताज़ा बयान हल ही में मोदी ने कहा था कि “बाथरूम में रेनकोट पहनकर नहाना मनमोहन सिंह से सीखें. पीएम मोदी ने कहा कि 30-35 सालों से आर्थिक फैसलों में मनमोहन सिंह की भूमिका रही. इतने घोटाले सामने आए लेकिन मनमोहन सिंह पर दाग नहीं लगा.” मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि जब गुजरात में अहसान जाफरी की हत्या हुई तब उन्होने किया पहेन रखा था ?
बाहेरहाल बीजेपी का आना तो UP में लगभग न है वैसे सम्भावना पे बात करी जाती है ये तो ११मार्च को ही पता चलेगा. और किसी के कहने या जातीविशेष के कहने में न आके अपना वोट खुद सोच समझ कर डालें.
धन्यवाद
Syed Danish Jafar
(Writer)