उत्तर प्रदेश में जिन 8 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें फिरोजाबाद की टूंडला, रामपुर की स्वार सीट, उन्नाव की बांगरमऊ, जौनपुर की मल्हनी, देवरिया की सदर, बुलंदशहर, कानपुर की घाटमपुर और अमरोहा की नौगावां सीट शामिल हैं। इनमें से 6 बीजेपी और दो एसपी के पास थीं।
उत्तर प्रदेश विधानसभा की आठ सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से तैयारियों में जुटी हैं। लेकिन वर्तमान परिदृष्य देखें तो इस उपचुनाव में बीजेपी और एसपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं, कांग्रेस और बीएसपी के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन उपचुनाव से उम्मीदें जरूर हैं। कांग्रेस और बीएसपी को अगर एक सीट पर भी कामयाबी मिल जाती है, तो 2022 के चुनाव में दोंनों के पास सरकार पर निशाना साधने और अपनी ताकत बताने का एक आधार मिल जाएगा।
अगर बात करें स्वार विधानसभा सीट की तो वहां से एसपी नेता अब्दुल्ला आजम की सदस्यता रद्द होने के कारण चुनाव हो रहा है। एसपी किसी भी कीमत पर यह सीट अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। अब्दुल्ला आजम की उपचुनाव में उम्मीदवारी पक्की करने को कोशिशें जारी हैं। हालांकि, वह अभी जेल में हैं। उनके ऊपर दस्तावेजों में हेरफेर का मुकदमा चल रहा है।
दूसरी तरफ, बीजेपी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। उसकी पहली कोशिश तो यही है कि स्वार विधानसभा सीट आजम खान से कैसे छिनी जाए। बीजेपी ने अपने कब्जे वाली 6 सीटों को लेकर मंथन शुरू कर दिया है। इसके लिए सरकार से लेकर संगठन तक लगभग सभी चेहरों को जिम्मेदारी देने का फैसला भी कर लिया गया है। इनकी तैनाती भी जल्दी हो जाएगी।
वहीं एसपी स्वार और मल्हनी सीट पर मंथन कर रही है। एसपी किसी भी कीमत पर दोनों सीटें जीतना चाहती है। बीएसपी ने भी इसके लिए रणनीति बनाना शुरू कर दी है। इसे लेकर कुछ लोगों को जिम्मेदारी भी दी गई है। उपचुनाव के मुख्य सेक्टर प्रभारियों को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है। एसपी ने भी चुनाव वाले क्षेत्रों में कुछ लोगों को लगाने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में जिन आठ सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें फिरोजाबाद की टूंडला, रामपुर की स्वार सीट, उन्नाव की बांगरमऊ , जौनपुर की मल्हनी, देवरिया की सदर, बुलंदशहर, कानपुर की घाटमपुर सीट और अमरोहा की नौगावां सीट शामिल हैं।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि यूपी सरकार ने तीन साल से ज्यादा वक्त का काम किया है। उसे लोग परखेंगे। 2014 से लगातार मोदी लहर के बीच अपने लिए जगह बनाने की चुनौती विपक्ष के सामने है। इसके लिए उन्हें जमीनी रणनीति बनानी होगी। कहा जाता है उपचुनाव सत्ताधारी दल का होता है। रामपुर और मल्हनी सीट बीजेपी के लिए कठिन जरूर है। लेकिन बाकी सीटों पर बीजेपी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए। हां, इसके लिए वह उम्मीदवारों का चयन सही करे। अगर विपक्ष को एक दो सीटें मिल जाती हैं तो बीजेपी के लिए चेतावनी होगी।
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के नेता सिद्धार्थ प्रिय श्रीवास्तव ने बताया कि उपचुनाव को लेकर पार्टी तैयारियां कर रही है। अभी इसे लेकर बैठक की जाएगी। प्रदेश के कुशासन के खिलाफ जनता अंगड़ाई लेगी, निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी। वहीं बीएसपी में भी उपचुनाव को लेकर मंथन जारी है। ऐसे में इतना तय है कि प्रदेश की आठ सीटों पर होने वाला उपचुनाव रोचक होने जा रहा है।
नवजीवन