राजनीतिक विषलेषकों की मानें तो तेजस्वी और चिराग अगर ईमानदारी से अगर एकसाथ आ जाएं तो सत्ता पक्ष को कडी चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता युवा हैं और बिहार की सामान्य जनता एक जुझारू और उत्साही नेता की आवश्यकता महसूस कर रही है।
लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में मचे आंतरिक घमासान के बीच अन्य दल भी अपने-अपने तरीके से इसका लाभ उठाने में जुट गए हैं। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) जहां अलग गुट सांसद पशुपति पारस की पीठ पर हाथ फेर रही है वहीं राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान को महागठबंधन का हिस्सा बनाने के लिए डोरे डालने में जुटी है। ऐसे में राज्य में नए समीकरण बनने के आसार बनने लगे हैं।
पारस के एलजेपी के अलग गुट बनाए जाने के बाद एलजेपी के संस्थापक स्वर्गीय रामविलास पासावान के पुत्र चिराग पासवान जेडीयू से नाराज होने के साथ इस कठिन दौर में बीजेपी की चुप्पी से भी आहत हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि बीजेपी के स्टैंड से वे आहत हैं।
ऐसी स्थिति में राज्य की मुख्य विपक्षी आरजेडी ने चिराग पर डोरे डालना शुरू कर दिया है।
लंबे समय के बाद दो दिन पूर्व पटना लौटे तेजस्वी ने चिराग को ‘भाई’ कहते हुए कहा, “चिराग भाई को तय करना है कि वे आरएसएस के बंच ऑफ थॉट्स के साथ रहना है या बाबा साहब के संविधन के साथ रहना चाहते हैं।” उन्होंने आरजेडी द्वारा एलजेपी पर किए गए उपकार की भी याद दिलाई।
इधर, आरजेडी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जयंती भी 5 जुलाई को मनाने का निर्णय लिया है। उस दिन आरजेडी दतर में उनके चित्र पर पार्टी के सभी वरिष्ठ नेता माल्यार्पण करेंगे, हालांकि उसी दिन आरजेडी का स्थापना दिवस भी है तो उससे संबंधित कार्यक्रम उसके बाद होंगे। इस बीच, चिराग पासवान भी अपने पिता के जयंती के अवसर पर उनके पुराने लोक सभा क्षेत्र हाजीपुर से पूरे राज्य की यात्रा का शुभारंभ 5 जुलाई से ही कर रहे हैं।
जानकार कहते हैं कि आरजेडी की नजर पासवान वोटों पर टिकी है। आरजेडी चिराग को महागठबंधन में शामिल कर इन वोटों को महागठबंधन से जोड़ना चाहती है। राजनीतिक विषलेषक और वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर भी कहते हैं, ” तेजस्वी और चिराग अगर इमानदारी से अगर एकसाथ आ जाएं तो सत्ता पक्ष को कडी चुनौती दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों नेता युवा हैं और बिहार की सामान्य जनता एक जुझारू और उत्साही नेता की आवश्यकता महसूस कर रही है।”
मणिकांत ठाकुर कहते हैं, ” आरजेडी का वोट बैंक यादव और मुस्लिम माना जाता है। ऐसे में इसकी नजर पासवान मतदाताओं पर है। महागठबंधन अपने इस नए समीकरण से राजग के उस गणित को करारा जवाब देना चाहते हैं, जिसको लेकर एलजेपी में टूट हुई और एनडीए उत्साहित है।” उन्होंने कहा कि यह तय है कि पासवान जाति के मतदाता रामविलास के बाद चिराग को ही अपना नेता मान रहे हैं।
बहरहाल, यह तय है कि चिराग और तेजस्वी के साथ आने के बाद राज्य का सियासी समीकरण बदलेगा। हालांकि चिराग को यह तय करना है कि वे एनडीए के साथ जाते हैं या महागठबंधन के साथ या फिर अकेले ही सियासतों के धुरंधरों से निपटेंगे। वैसे, माना यह भी जा रहा है कि अब चिराग उस गठबंधन में नहीं जाएंगे, जहां उनके चाचा पारस होंगे।