रितेश सिन्हा
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक
कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय 24 अकबर रोड से निकल रही खबरों पर यकीन करें तो पार्टी की पूरी तैयारी अपने बूते चुनाव लड़ने की है। देश के 543 सीटों में कांग्रेस जिन प्रदेशों में अपने बूते चुनाव लड़ने की तैयारियों में है, उनमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, आंध्र प्रदेश, तेलांगना, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात जैसे प्रदेश शामिल हैं। इन राज्यों में कांग्रेस का अंडर करंट जोरों पर है। कांग्रेस के वार रूम में हर सप्ताह अलग-अलग राज्यों की रिपोर्ट तलब हो रही है जिसमें नेताओं से मिल रहे फीडबैक के अलावा कई एजेंसियां भी सक्रिय हैं।
इसमें हर सप्ताह कांग्रेस के प्रति बढ़ते रूझान का पता लगने से पार्टी के हौसले बुलंद हो रहे हैं। गठबंधन की पहली मीटिंग नीतीश की अध्यक्षता में हुई थी, जहां मेजबान और कर्ताधर्ता बने नीतीश कुमार सिर्फ राहुल गांधी को लेने पूरे दल-बल के साथ एयरपोर्ट पहुंचे थे। नीतीश और लालू की मिली-जुली कोशिश मीटिंग से इतर कांग्रेसियों से राहुल और खड़गे को दूर रखना था। इस पुरजोर कोशिश की रणनीति को बिहार से मिल रहे फीडबैक ने बिगाड़ दिया। एक दिन पूर्व तय कार्यक्रम के बाद सदाकत आश्रम गए राहुल-खड़गे कार्यकर्ताओं के बुलंद हौसले देखकर कांग्रेस का डीएनए चेक कर लिया। दिल्ली लौटते-लौटते राहुल का नजरिया बिहार के लिए चेंज हो गया।
बिहार में 6 सीटों में समेटने की रणनीति बनाए हुए लालू-नीतीश पर कांग्रेस ने भाजपा की सारी 17 सीटों के साथ अपने जीते हुए 1 लोकसभा सीट समेत 20 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी नीतीश और लालू के खेमों में बंटे हुए हैं। इनका इरादा 6 सीटों को महज 8 तक में समेटने का है। कांग्रेस के वार रूम में पहुंच रही खबरों पर यकीन करें तो तीन दशकों से अधिक समय से बिहार की त्रस्त जनता नीतीश-लालू के चंगुल से निबटने, व अकेले लड़ने को तड़प रही है।
सीताराम केसरी के दौर से ही बिहार में प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी की जवाबदेही लालू-नीतीश के वफादारों को मिलती रही है। कांग्रेस आलाकमान जल्दी ही बिहार में निखिल कुमार की अध्यक्षता में बनी कांग्रेस पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी की एआईसीसी में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ बैठक हो सकती है जिसमें कांग्रेस अपने बढ़ते प्रभाव का अवलोकन करेगी, गठबंधन और अकेले चुनाव लड़ने के नफे-नुकसान का आकलन करेगी।अब तक बिहार में कांग्रेस के प्रतिनिधि के तौर जिन लोगों के पास जवाबदेही है वो गैर-जिम्मेदाराना तरीके से कांग्रेसियों का मनोबल तोड़ने का काम करते आए हैं।
ताजा मामला जहानाबाद के जिलाध्यक्ष बिहार के चर्चित मियांपुर नरसंहार के अभियुक्त गोपाल शर्मा का है। एआईसीसी महासचिव तारिक अनवर के ये चहेते और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश के बने लठैत गोपाल शर्मा को बकायदा प्रभारी भक्तचरण दास ने दिल्ली से चिट्ठी जारी करवायी थी। आपको बता दें कि गोपाल शर्मा जिला न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय द्वारा सजा प्राप्त मुजरिम जो बकायदा सजा का एक हिस्सा लगभग 8 साल काट चुका है व सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर है।
मियांपुर नरसंहार में सैकड़ों दलित और पिछड़ों की हत्या हुई थी। इनकी नियुक्ति से बिहार में कांग्रेस के बढ़ते जनाधार को शहाबाद प्रमंडल के आसपास के क्षेत्रों में कम करेगा। इस प्रमंडल के तहत आरा, बक्सर, सासाराम, औरंगाबाद, अरवल, जहानाबाद, गया जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में कांग्रेस के प्रति नाराजगी साफ उभर कर नजर आ रही है। तारिक अनवर केंद्रीय अनुशासन समिति के कर्ताधर्ता बने हुए हैं। बिहार कई नेताओं ने जब भी उनसे चर्चा करने की कोशिश की, उन्होंने हमेशा नाराजगी जतायी। तारिक यूपी में भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने से बाज नहीं आए। वहां उन्होंने मथुरा के कांग्रेसी उम्मीदवार को ऐन चुनाव में निष्कासित कर दिया था, जिसको बकायदा पार्टी ने सिंबल और टिकट जारी किया था।
मसला यूपी, बिहार होते हुए अब दिल्ली दरबार तक पहुंच गया है। इसके पूर्व भी प्रदेश अध्यक्ष के द्वारा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को निर्देश देकर भाजपा नेता व सांसद राजीव प्रताप रूडी के जिंदाबाद करने को कहा था। इसकी वीडियो और ऑडियो बकायदा बिहार से दिल्ली तक गूंजती रही, मगर तारिक, अखिलेश और भक्तचरण दास की तिकड़ी ने मामले को दबाते हुए सिद्धार्थ क्षत्रिय, प्रभात कुमार चंद्रवंशी, अरशद अब्बास आजाद, शकीलुर रहमान तथा प्रवीण शर्मा को पार्टी से निकालने का नोटिस जारी कर दिया। केवल शकीलुर रहमान को छोड़कर बाकी नेताओं ने अपने राजनीतिक भविष्य को देखते हुए माफी मांगी और मामले से बरी हो गए।
इन सब खबरों से कांग्रेस आलाकमान अंजान नहीं है, सही समय पर बिहार को लेकर चौकाने वाला फैसला आ सकता है। यूपी में प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी को कांग्रेस आलाकमान से हरी झंडी मिल चुकी है। इससे पहले लूटपाट के लिए कुख्यात संदीप एंड कंपनी के जुड़े सचिवों ने यूपी से अपना बिस्तर बांध लिया है। यूपी विधानसभा और मेयर के चुनाव में टिकट वितरण में हुई धांधली की पोल आलाकमान के सामने खुल चुकी है। कुछ दिन पहले तक यही गैंग खाबरी को हटाने, तारिक अनवर को प्रभारी बनाने और प्रियंका गांधी को प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाने में जुटा था।
खाबरी जोर-शोर से यूपी में कांग्रेस में नई जान फूंकने में जुटे हैं। बरेली में पूर्व जिलाध्यक्ष की पत्नी के देहांत पर पीसीसी सदस्य प्रोफेसर नीतू शर्मा व उनके परिवार को उस वक्त चौका दिया जब उनके घर प्रदेश अध्यक्ष का फोन गया और संवेदना प्रकट की। खाबरी प्रदेश को कांग्रेसियों के बीच सभाओं में अपने संबोधन में देश में दो विचारधाराओं की लड़ाई को लेकर व सूबे में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए खाबरी भाजपा-सपा-बसपा के खिलाफ एक साथ हमलावर दिखाई दे रहे हैं। यहां भी कांग्रेस सभी 80 सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश में जुटी हुई है। उन्होंने भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों को उजागर करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ बूथ स्तर तक कांग्रेसियों को जाने के निर्देश दिये हैं।
कर्नाटक, हिमाचल की चुनावी जीत और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का खासा असर देश में दिख रहा है और कांग्रेस की चर्चा चौक-चौराहे पर भी शुरू हो चुकी है। कांग्रेस यूपी की 80, बिहार की 40 सीट, पश्चिम बंगाल की 42, राजस्थान की 25, हरियाणा की 10, पंजाब की 13, हिमाचल प्रदेश की 4, उत्तराखंड की 5, मध्य प्रदेश की 29, महाराष्ट्र की 48, तेलांगना की 17, आंध्र प्रदेश की 25, गुजरात की 26, कर्नाटक की 28 सीटों पर कांग्रेस सीधे चुनावों में आना चाहती है।
कांग्रेस का हर रोज ग्राफ बढ़ रहा है। कांग्रेस गठबंधन में अपनी शर्तों पर बने रहना चाहती है। घटक दलों पर कांग्रेस का बहुत ज्यादा भरोसा नहीं है। कांग्रेस वार रूम से जहां एक-एक सीट पर नजर बनाए हुए है और सप्ताह में उसकी समीक्षा भी की जा रही है। ऐसे में कांग्रेस की उन प्रदेशों पर नजर है जहां पर थोक में लोकसभा के सांसद निकल कर आते हैं। अभी 2024 के चुनाव में 8 महीने का वक्त बाकी है। गठबंधन के समीकरण क्या होंगे, कांग्रेस की रणनीति क्या होगी, इस पर ऐन चुनाव से पहले होगा। तब तक कयासों का दौर चलता रहेगा।