बीजेपी के एक नेता का कहना है कि “प्रसाद और जावड़ेकर को कुछ संगठनात्मक जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे राष्ट्रीय पदाधिकारियों के रूप में हों। हाल ही में, बीजेपी ने प्रसाद से पेगासस जासूसी पर पार्टी का रुख पेश करने को कहा था।”
बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे या किसी अन्य जिम्मेदारी में मोदी मंत्रिमंडल से हटाए गए पूर्व केंद्रीय मंत्रियों की नई भूमिका को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। कैबिनेट फेरबदल के बाद बीजेपी गलियारों में अटकलें लगाई जा रही थीं कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बाहर किए गए कुछ लोगों को संगठन में जगह दी जाएगी और उन्हें अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। लेकिन एक पखवाड़े के बाद भी इस पर कुछ सुनने को नहीं मिल रहा। भगवा खेमे के कई लोगों का मानना है कि पूर्व मंत्रियों को प्रमुख संगठनात्मक पद दिए जाने की संभावना नहीं है।
पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, “ऐसा लगता नहीं है कि पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को राष्ट्रीय पदाधिकारी बनाया जाएगा या उन्हें संगठन में प्रमुख जिम्मेदारियां दी जाएंगी।” ध्यान रहे कि 7 जुलाई को 12 मंत्रियों ने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में डी.वी. सदानंद गौड़ा, रविशंकर प्रसाद, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, डॉ हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष कुमार गंगवार, बाबुल सुप्रियो, धोत्रे संजय शामराव, रतन लाल कटारिया, प्रताप चंद्र सारंगी और देबाश्री चौधरी शामिल थे। थावरचंद गहलोत ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किया गया है।
पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा कि दो या तीन को छोड़कर उनमें से अधिकांश के पार्टी पदाधिकारी बनाए जाने की संभावना नहीं है। जबकि एक दर्जन मंत्रियों को हटा दिया गया था, केंद्रीय मंत्रिमंडल में बीजेपी के तीन राष्ट्रीय पदाधिकारियों को मंत्री बनाया गया था। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, जबकि पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी को भी मंत्री बनाया गया है। इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विश्वेश्वर टुडू को भी केंद्रीय मंत्री बनाया गया है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि मुकुल रॉय के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद से उपाध्यक्ष का एक और पद खाली है। इन नेता ने कहा कि, “पार्टी हलकों में अटकलें हैं कि प्रसाद और जावड़ेकर को कुछ संगठनात्मक जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे राष्ट्रीय पदाधिकारियों के रूप में हों। हाल ही में, बीजेपी ने प्रसाद से पेगासस जासूसी पर पार्टी का रुख पेश करने को कहा था।”
पार्टी के एक और वरिष्ठ नेता ने कहा कि बीजेपी ‘एक व्यक्ति, एक पद’ की नीति का पालन करती है, इसलिए अगले साल की शुरूआत में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों को देखते हुए कुछ पूर्व मंत्रियों को संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाएगी, और कुछ पूर्व मंत्रियों को पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए काम सौंपा जाएगा।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाए गए अन्य लोगों के भाग्य का फैसला भविष्य में किया जाएगा और पार्टी नेतृत्व और पार्टी लाइन के खिलाफ बोलने वालों को भविष्य में कहीं भी समायोजित नहीं किया जाएगा। एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल से इन मंत्रियों को दरवाजे दिखाने का कारण प्रदर्शन था, तो यह संभावना नहीं है कि उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।
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